Friday, August 15, 2008 0 comments

हम आजाद नहीं है!!!नहीं है हम आजाद !!

आज़ादी क्या है यह आज़ादी...पता है किसी को यहाँ? कल हर गली हर चोराहे पर तिरंगा लहेराते हुए आजाद भारत के वीर पुरुषों को देख के ऐसा लगेगा के देश भावना तो सिर्फ हिंदुस्तान में ही है...पर फिर क्या हो जाता है हमें...इंसानों को...क्या हम आजाद है ? यह सवाल अपने आप को कभी किया है? देश का अर्थतंत्र हाथ में होने से कोई देस आजाद नहीं कहलाता...हम आजाद हुए नहीं है बस बनाया गया है...सिर्फ on papers हम आजाद है...क्या है आज़ादी? कैसी आज़ादी...गांधीजी जिंदाबाद कहने वाले जितने भी है यहाँ अपने आपको देखो के तुम कितने हिन्दुस्तानी हो? रंग दे बसंती देख के राजनीती को गली देने वाला आज का हिन्दुस्तानी युवा dhan यह भूल गया है कीसी भी चीज़ को हांसिल करके उसको आगे तक ले जाना होता है...दादा की जगह पापा और उनकी जगा बेटा लेता है...पर यहाँ तो हिन्दू मुसलमान है इंसान कोई नहीं है...राम रहीम जिसुस सब एक ही है ऐसा कहने वाले धर्मगुरु की भाषा बोलने वाले आज के हुन्दुस्तानिओं को यह याद रहना चाहिए की पहले वोह देश के है उसके बाद अपने सोसाइटी के...राम मंदिर हमारा है...बाबरी मस्जिद हमारी है...ज़मीन के टुकडो के लिए एकदूसरे को मारने में मशगुल लोग भूल गए है की वोह हिन्दुस्तानी है...क्या राम मंदिर हुन्दुस्तान में नहीं है? क्या बाबरी मस्जिद हिंदुस्तान में नहीं है? किसने लिख दिया है की हिंदुस्तान में सिर्फ हिन्दू रहने चाहिए...अगर सब इंसान बनके रहे तो कोई भी रह सकता है...में खुद हिन्दू ब्रह्मिन हूँ तो क्या में तलवार लेके निकल पडू मरने सबको..."कुल हु अल्लाह हु अहद अल्लाह हु समद लम यालिद वलं युलाद वलं यक्कुलाहू कुफुवन अहद "किसने सिखाया मुझे मुसलमान ने? नहीं एक इंसान जो इस्लाम को समजता है इसका मतलब यह नहीं है की वोह राम में भरोसा नहीं करता...आज़ादी आज़ादी आज़ादी साल में दो दिन बस तिरंगा लेकर निकल पड़ेंगे हिन्दुस्तानी लोग...देश बदल गया है सोच नहीं बदली...

आतंकवादी कौन है? इंसान है और इंसान ही रहेगा...अगर राम को सिर्फ हिन्दूओ से प्यार होता तो वोह ऐसा जहाँ बनता जहा सिर्फ हिन्दू हो और कोई नहीं...अगर अल्लाह को सिर्फ मुसलमानों से प्यार होता तो ऐसा जहाँ बनाते जहाँ सिर्फ मुसलमान हो...कभी ऐसे जहाँ के बारे में सोच के देखना जहा सब एक जैसे हो...एक सी सोचवाले हों॥सोच बदलती है तोही देश आगे बढ़ता है... हिंदुस्तान को आतंकवादी ओ से ज्यादा ज़ख्म हम खुद देते है और मन के ज़ख्म कभी नहीं भरेंगे...निकालो इस छोटी सोच से तोही देश आगे बढेगा वरना बम तो फूटेंगे ही और लोग तो मरेगे ही फिर गिनते रहना कितने हिन्दू मरे कितने मुसलमान... किसीके सामने मुस्कुराओगे तोही कोई मुस्कुराएगा...कुछ बोलने से बेहतर है कुछ करो...चोदो यह हिन्दू-मुस्लिम की बातें और इंसान बनके देखो।जन्नत और जहन्नुम दोनों ही किस्मत से मिलते है...जिंदगी की सायकिल चलाने केलिए दो पहिये चाहिए और दोनों एक जैसे होने चाहिए तो ही सायकिल चलेगी और तोही देश चलेगा...और देश के नेताओ को अब यह बात समाज नि चाहिए की BJP या कांग्रेस या लेफ्ट या सपा सभी पब्लिक की बनाये हुए मिटटी के घर है अगर वोह नहीं सुधरे ना नव-निर्वाण का ऐसा सुनामी आयेगा जो सब को ले डूबेगा...बस और कुछ कहने की मेरी हेसियत नहीं है...और अपने विचार लिखने जितनी आज़ादी तो मुझे नसीब होनी ही चाहिए...यहाँ पे कही ऐसे FREEDOM FIGHTERS है जिनको मेरी इस सोच से प्रॉब्लम होगा...पर मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता...
thank you,
एक इंसान
जो हिंदुस्तान जैसे महान देश में छोटी सोच वाले समाज का एक छोटा सा हिस्सा है
HAPPY INDEPENDENCE DAY!!
 
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